Bal Gangadhar Tilak Biography in hindi
बाल गंगाधर तिलक जी का जीवन परिचय
युवाओं को किसी कार्य के लिये तैयार करना और उनके मन मे उस कार्य के प्रति निष्ठा का भाव लाना यह बहोत कठिन होता है । तिलक जी ने यह कार्य बहोत कम समय में किया । उनके कई कार्यों से समाज मे जागृति आयी । गणेशोत्सव और छत्रपति शिवाजी जयंती के सामुहिक उत्सव इसके श्रेष्ठ उदाहरण है । ( आज हम सभी अपने विस्तार मे युवक मंडल या किसी समूह में गणेश स्थापना करते है और शायद इस वजह से हम सब में आत्मीयता आती है यह भाव समाज मे विकसित हो एसी दुरदर्शिता से ही तिलक जी ने सामुहिक उत्सव मनाने की प्रेरणा दी । ) ” स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और उसे में लेकर ही रहूंगा । ” जैसे कई सूत्रों से उन्होंने युवा जागरण का काम किया । स्वराज का तिलक ” जन्म : 23 जुलाई , 1856 मृत्यु : 1 अगस्त , 1920 • जन जागृति के लिए गणेश महोत्सव मनाना शुरु कीया कोलेज की शिक्षा लेने वाली पहली पीढ़ी में सामेल डेक्कन एज्युकेशन सोसायटी की नींव रखी अपने अख़बार केसरी से स्वराज का आह्वान किया और क्रांतिकारियों का बचाव किया उन्होंने जेल में रहेकर 400 पन्नों की पुस्तक ‘ गीता रहस्य ‘ लिखी जमशेदजी टाटा के साथ मिलकर स्वदेशी को – ओप स्टोर्स खोले ” स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मे इसे लेकर रहूँगा ! ” कई महान व्यक्तित्व और स्वतंत्र सेनानीयों का निर्माण लोकमान्य तिलक के ” केसरी ” के वांचन या श्रवण से हुआ है । उसका श्रेष्ठ उदाहरण है वं . लक्ष्मी बाई केलकर । आज विश्व के । सबसे बड़े महिला संगठन की स्थापना उन्होने की उनका व्यक्तित्व ऐसा था की भारत के लोगों ने उन्हे लोकमान्य का उपनाम दिया वही ब्रिटिश । उनके व्यक्तित्व से इतने डरे हुए थे की उन्हें भारतीय अशांति के पिता कहते थे । लोकमान्य तिलक जी ने रास्ते पर सही दिशा की राह न देखकर सतत चलने की सिख दी । क्योंकि राष्ट्र के विकास और पुनः निर्माण हेतु …. चरैवैती चरैवैती यही तो मन्त्र है अपना नही रुकना नही थकना सतत चलना सतत चलना यही तो मन्त्र है अपना शुभंकर मन्त्र है अपना ….
बाल गंगाधर तिलक जन्म, शिक्षा एवं परिवार –
1. पूरा नाम :- केशव गंगाधर तिलक
2. जन्म :- 23 जुलाई 1856
3. जन्म स्थान:- रत्नागिरी, महाराष्ट्र
4. माता – पिता :- पार्वती बाई गंगाधर, गंगाधर रामचंद्र तिलक
5. मृत्यु :- 1 अगस्त 1920 मुंबई
6. पत्नी :- सत्यभामा (1871)
7. राजनैतिक पार्टी :- इंडियन नेशनल कांग्रेस
तिलक का जन्म चित्पावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनके पिता गंगाधर तिलक, एक संस्कृत टीचर थे. तिलक को बचपन से ही पढाई में रूचि थी, वे गणित में बहुत अच्छे थे. तिलक जब 10 साल के थे, तब उनके पिता रत्नागिरी से पुणे आ गए थे. यहाँ उन्होंने एंग्लो-वर्नाकुलर स्कूल ज्वाइन किया और शिक्षा प्राप्त की. पुणे आने के थोड़े समय बाद ही तिलक ने अपनी माता को खो दिया. 16 साल की उम्र में तिलक के सर से पिता का भी साया उठ गया.
तिलक जब मैट्रिक की पढाई कर रहे थे, तब उन्होंने 10 साल की लड़की तापिबाई से शादी कर ली, जिनका नाम बाद में सत्यभामा हो गया. मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद, तिलक ने डेक्कन कॉलेज में दाखिला ले लिया, जहाँ से उन्होंने 1977 में बीए की डिग्री फर्स्ट क्लास में पास की. भारत के इतिहास में तिलक वो पीढ़ी थे, जिन्होंने मॉडर्न पढाई की शुरुवात की और कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की थी. इसके बाद भी तिलक ने पढाई जारी रखी और LLB की डिग्री भी हासिल की
बाल गंगाधर तिलक करियर (Bal Gangadhar Tilak career) –
ग्रेजुएशन करने के बाद, तिलक पुणे के एक प्राइवेट स्कूल में गणित के टीचर बन गए. इसके कुछ समय बाद स्कूल छोडकर वे पत्रकार बन गए. इस समय बाल गंगाधर जी देश में चल रही गतिविधियों से बहुत आहात थे, वे इसके लिए बड़े रूप में आवाज उठाना चाहते थे. तिलक पश्चिमी शिक्षा पद्धिति के बड़े आलोचक थे, उनका मानना था, इसके द्वारा भारतीय विद्यार्थियों को नीचा दिखाया जाता है, और भारतीत संस्कृति को गलत ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है. कुछ सोच विचार के बाद वे इसी नतीजे में पहुंचें की, एक अच्छा नागरिक तभी बन सकता है, जब उसे अच्छी शिक्षा मिले.
भारत में शिक्षा को सुधारने के लिए उन्होंने अपने मित्र के साथ मिलकर ‘डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी’ बनाई. इसी के अगले साल तिलक ने दो समाचार पत्रों का निर्माण भी शुरू किया. इसमें एक था, ‘केसरी’ जो मराठी में साप्ताहिक समाचार पत्र था, दूसरा था ‘मह्रात्ता’ ये अंग्रेजी का साप्ताहिक समाचार पत्र था. समाचार पत्र के इतिहास के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें. थोड़े समय में ही ये दोनों समाचार पत्र बहुत प्रसिद्ध हो गए. अपने इन समाचार पत्र में तिलक भारत की दुर्दशा पर अधिक लिखा करते थे. वे लोगों के कष्टों का और वास्तविक घटनाओं की तस्वीर को इसमें छापते थे. गंगाधर जी सबसे कहा करते थे कि अपने हक़ लिए सामने आकर लड़ो. बाल गंगाधर तिलक भारतियों को उकसाने के लिए उग्र भाषा का उपयोग किया करते थे.
बाल गंगाधर तिलक राजनैतिक सफर (Bal Gangadhar Tilak political career) –
अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए बाल गंगाधर ने 1890 में भारतीत राष्ट्रीय कांग्रेस ज्वाइन की. महात्मा गाँधी के पहले भारतीय राजनेता के रूप में अंग्रेज गंगाधर को ही जानते थे. महात्मा गाँधी जयंती पर भाषण निबंध कविता एवं जीवन परिचय के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें. वे पुणे मुंसीपाल एवं बम्बई विधान मंडल के सदस्य रहे. तिलक एक महान समाज सुधारक थे। उन्होंने बाल विवाह का विरोध किया एवं विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया था. 1897 में तिलक पर अपने भाषण के द्वारा अशांति फ़ैलाने और सरकार के विरोध में बोलने के लिए चार्जशीट फाइल हुई. जिसके लिए तिलक को जेल जाना पढ़ा और ढेड़ साल बाद वे 1898 में बाहर आये. ब्रिटिश सरकार उन्हें ‘भारतीय अशांति के पिता’ के पिता कहकर संबोधित करती थी. जेल में रहने के दौरान उन्हें सभी देश का महान हीरो एवं शहीद कहकर बुलाते थे.
जेल से आने के बाद तिलक ने स्वदेशी आन्दोलन की शुरुवात की. समाचार पत्र एवं भाषण के द्वारा वे अपनी बात महाराष्ट्र के गाँव-गाँव तक पहुंचाते थे. तिलक ने अपने घर के सामने एक बड़ा स्वदेशी मार्किट भी बनाया था. स्वदेशी आन्दोलन के द्वारा वे सभी विदेशी समान का बहिष्कार करते थे, एवं लोगों को इससे जुड़ने के लिए कहते थे. इस समय कांग्रेस पार्टी के अंदर गर्मागर्मी बढ़ गई थी, विचारों के मतभेद के चलते ये दो गुटों में बंट गई थी – नरमपंथी और गरमपंथी. गरमपंथी बाल गंगाधर तिलक द्वारा चलाया जाता था, जबकि नरमपंथी गोपाल कृष्ण के द्वारा. गरमदल स्वशासन के पक्ष में थे, जबकि नरमपंथी सोचते थे कि समय अभी ऐसी स्थिति के लिए परिपक्व नहीं है. दोनों एक दुसरे के विरोधी थे, लेकिन उद्देश्य एक ही था, भारत की आजादी. बाल गंगाधर तिलक बंगाल के बिपिन चन्द्र पाल एवं पंजाब के लाला लाजपत राय का समर्थन करने लगे थे, यही से ये तीनों की तिकड़ी ‘लाल-बाल-पाल’ नाम से जानी जाने लगी.
1909 में बाल गंगाधर तिलक ने अपने पेपर केसरी ने तुरंत स्वराज की बात कही, जिसके बाद उन पर राजद्रोह का आरोप लगा. इसके बाद उन्हें 6 साल की जेल हो गई, और उन्हें बर्मा भेज दिया गया. यहाँ जेल में वे बहुत सी किताबें पढ़ा करते थे, साथ ही उन्होंने ‘गीता का रहस्य’ बुक लिखी. तिलक 8 जून 1916 को जेल से बाहर आये.
जेल से आने के बाद तिलक ने 1916 कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की. वे कांग्रेस के दोनों दलों को फिर से जोड़ने की कोशिश करते रहे. उन्होंने इसके लिए महात्मा गाँधी को भी समझाने की कोशिश की कि वे पूरी तरह से अहिंसा को सपोर्ट न करें, बल्कि स्वराज के बारे में भी सोचें. अन्तः उनकी ये सारी कोशिशें बेकार गई. इसके बाद उन्होंने अपनी अलग पार्टी ‘होम रुल लीग’ बनाई. तिलक इसके बाद देश भर में भ्रमण करके सबको स्वराज के आन्दोलन जोड़ने की कोशिश करते रहे.
बाल गंगाधर तिलक रचना (Bal Gangadhar Tilak books) –
ओरियन – 1893
दी आर्कटिक होम इन दी वेद – 1903
गीता रहस्य – 1915
बाल गंगाधर तिलक मृत्यु (Bal Gangadhar Tilak death) –
भारत माता की स्वतंत्रता पाने की लड़ाई में बाल गंगाधर तिलक अपने जीवन भर कार्यरत रहे, 1 अगस्त 1920 को उनकी मुंबई में अचानक मृत्यु हो गई.
बाल गंगाधर तिलक ने स्वराज प्राप्ति के लिए बहुत से कार्य किये, स्वतंत्रता संग्रामियों में उनका नाम हमेशा याद किया जाता है|